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चमोली में बालिकाओं को नहीं मिला नंदा गौर योजना का लाभ, हाईकोर्ट की महिला एवं बाल विकास विभाग से माँगा जवाब

Girls in Chamoli did not get the benefit of Nanda Gaur Yojana, answer sought from Women and Child Development Department of High Court

संदेश डेस्क:  उत्तराखंड सरकार की नंदा गौरा योजना, जिसके तहत 12 वीं पास छात्राओं को आगे की पढाई के लिए 51 हज़ार रूपए धनराशि दी दिए जाने का प्रावधान है लेकिन चमोली की जिन बालिकाओं को इसका लाभ 2022-2023 में मिल जाना था। उन बालिकाओं को इस योजना का लाभ 2025 तक नहीं मिल पाया है।

जिस पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य की 12वीं पास बालिकाओं को नंदा गौरा योजना का प्रतिलाभ न दिये जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की है। मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायधीश जी नरेन्द्र व न्यायमूर्ती सुभाष उपाध्याय की खण्डपीठ ने राज्य की महिला सशक्तिकरण व सम्बंधित विभागों से पूछा है कि बालिकाओं को इस योजना का लाभ अभी तक क्यों नहीं दिया। गया?

सामाजिक कार्यकत्री ममता नेगी ने जनहित याचिका में कहा उनके जिले में वर्ष 2022- 23 में 439 बालिकाओं ने इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की थी।  सरकार की नन्दा गौरा योजना के मुताबिक उनकी आगे की पढ़ाई के लिए 51 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जानी थी लेकिन प्रशासन से बार-बार अनुरोध करने के बाद भी उन्हें नन्दा गौरा योजना का लाभ नहीं दिया गया। जबकि उनके द्वारा इसे प्राप्त करने के लिए सभी मानक 2023 में पूरे कर स्कूल के माध्यम से सम्बंधित विभाग को भेज दिये गये थे। विभाग ने इसे देने के लिए सरकार से 2 करोड़ 45 लाख की मांग की थी। लेकिन अभी उन्हें यह राशि नहीं दी गई है।

तो वहीँ इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि अभी यह मामला 2022 – 23 में एक जिले का है। ऐसे में बालिकाओं की उच्च शिक्षा कैसे होगी? हाईकोर्ट ने कहा योजना का समान लाभ सबको मिलना चाहिए। इस पर सम्बंधित विभाग अगले हफ्ते तक अपनी रिपोर्ट पेश करें।

क्या है मामला?

दरअसल, चमोली जिला निवासी एक सामाजिक कार्यकत्री ममता नेगी ने उच्च न्यायलय में जनहित याचिका दायर की है। जिसमें सामाजिक कार्यकत्री ममता नेगी ने कहा वे समाजिक कार्य कई वर्षों से करती आई हैं। उनका मुख्य कार्य गरीब तबके के बच्चों को स्कूल तक ले जाना है लेकिन उन्हीं गरीब बच्चों को सरकारी योजनाओं का लाभ नही मिल पा रहा है।
सामाजिक कार्यकत्री ममता नेगी ने कहा अगर सरकार का ऐसा ही रवैया रहा तो गरीब बच्चों की पढ़ाई कैसे हो पाएगी।  मामले की गंभीरतो को समझते हुए हाईकोर्ट ने महिला सशक्तिकरण व सम्बंधित विभागों से सवाल पूछा है. साथ ही अपना जवाब अगले हफ्ते तक पेश करने को कहा है.

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